श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ परिसर में ही प्राकृतिक व जैविक कृषि के प्रोत्साहन व संवर्धन का कार्य भी बहुत तीव्र गति से चलायमान है। जिनमें से प्रमुख तौर पर गेहूँ, धान, चना, जौ, मक्का, अलसी, अरहर,आलू, पालक, मटर, कटहल, केला, आम,पपीता, सेब इत्यादि का उत्पादन सम्मिलित है | ‘श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ के प्रबंधक श्री उमाकांत गुप्त जी के अनुसार “अब वह समय आ गया है जब भारत के कृषकों को रसायनयुक्त कृषि के स्थान पर प्राकृतिक व जैविक कृषि को अपनाना होगा जिससे कि हमारे देश के नागरिकों को स्वस्थ व समृद्ध बनाया जा सके।”
आचार्यं श्री मुनीद्र भरत जी व श्री गिरिजा शंकर जी की देख – रेख में जैविक खेती के प्रथम प्रयास में पपीते का पेड़, गौमूत्र उर्वरक के तौर पर, गौमूत्र में नीम, गुड़ में लहसुन, हरी मिर्च का मिश्रण कर उपयोग करने से केला, आम, अमरूद, अरहर, चना, मूंग, हल्दी, अलसी इत्यादि की फ़सलों का सफ़ल उत्पादन किया गया।जैविक खेती में पेड़ों पर गौ मूत्र का छिड़काव करने से बौर मज़बूत हुए साथ ही फ़लों की गुणवत्ता भी बढ़ गयी।
मित्र जीवन बॉयो एनर्जी फ़ार्मर प्रोड्यूसर कंपनी प्रा. लि. के माध्यम से किसान समूहों व 30 ग्राम समितियों का गठन कर प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण शिविर कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से कार्यशालाओं और संवेदीकरण प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है व गौशाला द्वारा 15 एकड़ में प्राकृतिक खेती का सफ़ल प्रयोग लोकभारती संस्था के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
‘एक्सपोजर विजिट इन डिस्ट्रिक्ट योजना’ के अन्तर्गत कृषि विभाग द्वारा ‘श्री गोपेश्वर प्राकृतिक कृषि गौ विज्ञान अनुसंधान एवं किसान सेवा केन्द्र’ में उप निदेशक कृषि श्री सी.पी.श्रीवास्तव जी की अध्यक्षता में एक दिवसीय संवेदीकरण प्रशिक्षण शिविर एवं विजिट कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमें काकोरी, माल व मलिहाबाद खंड के चयनित किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक कृषि के विभिन्न आयामों संग गौमूत्र से निर्मित आयुर्वेदिक उत्पादों, जैविक खेती, जैविक खाद का निर्माण व उसका प्रयोग, दैनिक जीवन में पंचगव्य के लाभ, गौ-मूत्र संग्रह, संशोधन प्रविधियों संग प्रभावी जानकारियों को किसानों संग साझा कर उनको प्रेरित किया गया।
सन् 2020 ई. में माननीय श्री कृष्ण गोपाल सिंह जी (सह सर कार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) जी की प्रेरणा से गौशाला में गौ – मूत्र शोधक मशीन की भी स्थापना की गयी और पंचगव्य से निर्मित औषधियों (गौ अर्क, गौनाइल, तुलसी अर्क, प्राकृतिक खाद, कीटनाशक) इत्यादि का निर्माण भी प्रारंभ किया गया।
