गाव: स्वर्गस्य सोपानं गावः स्वर्गेपि पूजिताः ।
गाव: कामदुहो देव्यो नान्यत् किञ्चित् परं स्मृतम्।।
गौमाता स्वर्ग की सोपान है जो स्वर्ग में भी पूजनीय है और समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। गौमाता से बढ़कर दुनिया में और कोई नहीं है। गौमाता के शरीर में सभी देवता निवास करते हैं इसलिए गो माता सर्व देवमयी है।
श्री चिंताहरण हनुमान जी
इस रूप में हनुमान जी सिर्फ़ राजस्थान के सालासर समीप रंगदार शहर में रोगहरण और ‘श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ प्रांगण में चिंताहरण के रूप में विराजमान हैं। इस शैली का मंदिर एशिया में अन्यत्र कहीं नहीं है।
गौयुग का प्रारंभ
प्रदेश की समस्त गौपालकों के संयुक्त आह्वन पर ‘श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ के 21 वें स्थापना दिवस के सुअवसर पर दिनांक 19 फ़रवरी – 25 फ़रवरी सन् 2021 ई. तक ‘गौसेवा महोत्सव’ के माध्यम से ‘गौयुग का प्रारंभ’ हुआ है।
श्री गोपेश्वर नाथ महादेव जी
250 वर्ष पूर्व मलिहाबाद के निवासी सेठ स्व. दिन्नीशाह के ने एक संत के आदेश पर भगवान शिव के धाम ‘श्री गोपेश्वर नाथ महादेव जी’ की स्थापना की व एक पक्के तालाब का भी निर्माण कार्य कराया। इस तालाब मे भारत की समस्त पवित्र नदियों व समुद्र का जल लाकर इसमें डाला गया था।
गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास माना गया है ।
गौमाता को चलता फिरता मंदिर की माना जाता है हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गाय को गौमाता भी कहा जाता है।
गौमाता के पूजन के बारे में वेदशास्त्रों और धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है की जहां गौमाता विचरण करती है उस स्थान पर बिच्छू, सांप जैसे-विषैले जीव नहीं आते हैं |
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