‘श्री गोपेश्वर गौशाला’ परिसर में 250 वर्ष पूर्व सेठ दिन्नी शाह जी द्वारा बनवाया गया प्राचीन व ऐतिहासिक सरोवर (पक्का तालाब)आज भी विधमान है, जिसमें मछली, कछुआ, बत्तख इत्यादि जलीय जीव जंतुओं का वास है साथ ही परिसर में ही उपस्थित पंचवटी उपवन में मोर, कबूतर , तोते, खरगोश, गिलहरी और विभिन्न तरह की चिड़ियाँ भी रहती हैं,’श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ के प्रबंधक श्री उमाकांत गुप्त जी के माता जी – पिता जी की 50 वीं वैवाहिक वर्षगांठ के सुवसर पर एक ख़ास परंपरा का सृजन किया गया, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने व अपने परिजनों के जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, पुण्यतिथि इत्यादि महत्वपूर्ण तिथियों पर गौशाला परिसर में पशु संरक्षण जीव भोज जिसमें गौवंशों हेतु एक दिन के भोजन (गुड़, खली, चूनी, चोकर), मछलियों, कछुओं को ब्रेड,आटा, लईया,पनीर, कबूतर, मोर को दाना, ख़रगोश को हरी खास, बाग में चींटी, गिलहरी, झींगुर, चिड़ियों के लिए चावल और चीनी, सृष्टि में उत्पन्न जलचर, नभचर, थलचर में वास करने वाले जीव – जंतुओ के लिए भोजन की व्यवस्था स्वेच्छा से कर सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’ परिसर में एस.डी.एम लखनऊ द्वारा पीपल, नीम, पाकर, आम, अमरूद, शीशम, सागौन इत्यादि पौधों को रोपित किया गया। गौशाला के एक हिस्से में बहुत से औषधीय वृक्षों जिनमें प्रमुख रूप से रूद्राक्ष, नागकेसर, अर्जुन, आवंला, अशोक तुलसी, नीम, पांडु, बेल, जामुन, आम इत्यादि सम्मिलित हैं और गौशाला में किसी गाय या गौवंश के घायल होने बीमार होने इत्यादि की सूचना प्राप्त होने पर गौसेवकों द्वारा उनको गौशाला में लाकर तत्काल पशु चिकित्सकों की देख- रेख में उचित चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इस प्रकार से जलीय जीव जंतुओं, पशु -पक्षियों, औषधीय वृक्षों व गौवंशों को गौशाला परिवार के सद्स्यों द्वारा बेहतर ढंग से संरक्षित कर इन सभी को नवीन जीवन देने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।
