250 वर्ष प्राचीन ‘श्री गोपेश्वर नाथ महादेव जी’ और ‘श्री चिंताहरण हनुमान जी’ का मंदिर है साधना का केंद्र

250 वर्ष पूर्व मलिहाबाद कस्बे के निवासी सेठ स्व. दिन्नीशाह के कोई संतान नहीं हुई, एक संत के आदेश पर उन्होंने भगवान शिव के धाम ‘श्री गोपेश्वर नाथ महादेव जी’  की स्थापना के साथ – साथ एक पक्के तालाब का भी निर्माण कार्य कराया। इस तालाब के निर्माण के समय भारत की समस्त पवित्र नदियों व समुद्र का जल लाकर इसमें डाला गया था साथ ही एक बड़े यज्ञ का भी आयोजन किया गया था, जिसमें उस समय के तत्कालीन संतों का आशीर्वाद जनता को प्राप्त हुआ था। कालांतर में यह स्थान उपेक्षित पड़ा रहा, क्षेत्र के पशु – प्रेमियों द्वारा इसकी देख – रेख व जीणोद्वार का कार्य निरंतर समय पर किया जाता रहा है। इस पक्के तालाब की यह विशेषता रही है कि अपने निर्माण के 250 वर्ष बाद भी यह आज तक कभी नहीं सूखा।

विभिन्न – विभिन्न पर्वों पर आस – पास स्थित गाँवों के निवासीगण व सुदूर क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुगण इस तालाब के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक भी करते हैं। एक बार विश्व विख्यात सुंदरकांड सम्राट परम पूज्य पं. अजय याग्निक जी का गौशाला आगमन हुआ, उनके द्वारा सम्पन्न कराये गये सुंदरकांड के पाठ में 25 गांवों के 5000 से भी अधिक लोग एकत्रित हुए।

याग्निक जी की प्रेरणा से ही ‘श्री हनुमान जी’ को गौशाला में राजा रूप में स्थापित किए जाने का संकल्प लिया गया और 9 जून सन् 2014 ई. को ‘श्री हनुमान जी’ राजा रूप में देश के महान, विद्वान व दिव्य संत – महात्माओं की उपस्थिति में गौशाला प्रांगण में विराजमान हुए।

इस रूप में हनुमान जी सिर्फ़ राजस्थान के सालासर समीप रंगदार शहर में रोगहरण और ‘श्री गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद’  प्रांगण में चिंताहरण के रूप में विराजमान हैं। इस शैली का मंदिर एशिया में अन्यत्र कहीं नहीं है। यहां से प्रेरणा लेकर आस-पास के लगभग 40 – 50 गांवों में सन् 2001 ई. से सुंदरकांड का साप्ताहिक पाठ प्रारंभ है जो आज तक निरंतर जारी है और वर्षभर गांव के लोग ‘श्री चिंताहरण हनुमान जी’ के मंदिर मे भी अपनी – अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने अवश्य आते हैं।

श्री ओंकार नाथ अग्रवाल जी ‘पोपट’, श्री जगदीश अग्रवाल जी, श्री संजीव गर्ग जी, श्री राजेश मित्तल जी, श्री रजनीश गुप्त जी, श्री ताराचंद्र अग्रवाल जी, श्री गुलाबचंद्र अग्रवाल जी, श्री रवि प्रकाश अग्रवाल जी, श्री अरविंद गुप्त जी, श्री कोमल चौरसिया जी, श्री मुकेश रोहतगी जी, श्री सुरेश शर्मा जी, श्री बलराम बंसल जी, नेपाल से श्री मुकेश मर्चेंट जी  इत्यादि लोगों ने ‘श्री चिंताहरण हनुमान जी’  के मंदिर को विकसित करने का संकल्प लिया।